मंगलवार, 2 दिसंबर 2008

यह घोर कलियुग है...

भारत और चीन के बीच १९६२ में हुए युद्ध के बाद कवि प्रदीप ने एक गीत लिखा था- ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानी, जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी... इस गीत को लता मंगेशकर ने जब गया तो भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी रो पड़े थे। मशहूर शायर इकबाल ने भी शहीदों के सम्मान में लिखा था - शहीदों की मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले... वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशा होगा... लेकिन शायद उनको यह पता नहीं था कि २१वी सदी में भारत की राजनीति इतनी गन्दी हो जाएगी कि राजनेता शहीदों का अपमान करने से भी नहीं चूकेंगे। पिछले दिनों मुंबई में हुए आतंकी हमलों में शहीद हुए जवानों पर फख्र करने के बजाय देश के राजनेता उनके परिवार को ज़लील करने से भी नहीं चूक रहे है। शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के परिवारवालों के साथ केरल के मुख्यमंत्री का बयान निश्चय ही देश के शहीदों के लिए अपमानजनक है और इस बयां के लिए अच्युतानंदन को अपनी गलती स्वीकार करते हुए नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए... लेकिन उन्हें अपने बयां पर कोई अफ़सोस नहीं है... और तो और... उनके बयान को कुछ और नेता भी सही ठहरा रहे हैं... उन्हें aisa कहते हुए ज़रा भी शर्म नहीं आ रही है... अरे उन शहीदों कि जगह अपने आप को रख कर देखो... ज़रा अपनों गिरेबान में झांक कर देखो...अपने से ये सवाल पूरी इमानदारी से पूछो...क्या देश कि रक्षा के लिए तुम जान दे सकते हो? है कोई जवाब तुम्हारे पास.... इसका जवाब मेरे पास है... जब लोकतंत्र में जनता के प्रतिनिधि को ही अपनी सुरक्षा के लिए व्लैक कैट कमान्डोस की ज़रूरत पड़ने लगे... उन्हें जनता की जान से ज़्यादा अपनी जान प्यारी हो तो ...कुर्सी के लिए कुछ भी करने को तैयार हो... ऐसा व्यक्ति क्या देश के लिए अपना खून बहायेंगे... और जो व्यक्ति देश के लिए अपना खून नहीं बहा सकता... उसे न तो जनप्रतिनिधि बनने का अधिकार है और न ही इस तरह से देश के वीर जवानो और शहीदों का अपमान करने का अधिकार है... krishna ने द्वापरयुग में ठीक ही कहा था कि कलियुग में वीर और बुजुर्ग अपमानित होंगे और आसुरी शक्तियों का बोलबाला होगा... और जब पाप सर से ऊपर हो जाएगा तब मैं कल्कि अवतार के रूप में मृत्युलोक में आसुरी शक्तियों के संहार के लिए जन्म लूगा... तो मेरा तो कृष्ण से यही प्रार्थना है कि हे कृष्ण... अब धरती पर पाप का घडा भर चुका है... घोर कलियुग आ चुका है... यही समय है तुम्हारे जन्म लेने का... आओ और मानवता को नेता रुपी इन आसुरी शक्तियों से बचा लो...

कोई टिप्पणी नहीं: