मंगलवार, 21 फ़रवरी 2012

अभी तलाश मेरी ज़िन्दगी की बाकी है


अभी तलाश मेरी ज़िन्दगी की बाकी है
मेरे नयन में कई ख्वाब अभी बाकी है
दूर जाऊं मैं भला कैसे अपने अक्शों से
रौशनी थोड़ी बहुत चांदनी में बाकी है
हार मैं तब तलक मानूंगा नहीं कि जब तक
आखिरी बूँद लहू की रगों में बाकी है
ज़ख्म खाए हैं मेरे दिल ने कई बार मगर
नयन में आंसुओं की धार अभी बाकी है
मैं वो पथिक नहीं जो रास्ते में थक जाये 
सांस सीने में अभी बेशुमार बाकी है
मेरा वजूद मिटाओगे तुम भला कैसे
महक “चन्दन” की अभी भी फिजा में बाकी है